लोक सभा अध्यक्ष, ओम बिरला और राज्य सभा के उप सभापति, हरिवंश ने ''लाइटनिंग ऑवर'' में आयोजित चर्चा में भी भाग लिया जहाँ राष्ट्रमंडल देशों के अध्यक्षों ने संवादपरक सत्रों में विधानमंडलों की वित्तीय स्वायत्तता, संसदीय प्रक्रियाएं और पद्धतियां, आदि जैसे विभिन्न विषयों पर अपने विचारों का आदान-प्रदान किया।
ओटावा (कनाडा)। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राष्ट्रमंडल देशों की संसदों के अध्यक्षों और पीठासीन अधिकारियों के 25वें सम्मेलन (सीएसपीओसी) के दौरान 'संसदीय और अन्य संदर्भों में व्यक्तियों की सुरक्षा' विषय पर आयोजित कार्यशाला में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इंटरनेट और विभिन्न सोशल नेटवर्किंग साधनों के आने से लोगों के संसद से जुड़ने के तौर-तरीकों में नए परिवर्तन आए हैं। उन्होने यह विचार व्यक्त किया कि इंटरनेट का विकास निसंदेह संसदों के लिए एक वरदान रहा है क्योंकि डिजिटल टेक्नोनलॉजी ने उन्हें अधिक जटिल कार्य करने तथा उन्हें निरंतर आधुनिक बनाने में समर्थ बनाया है जिनके फलस्वरूप सदस्य विधायी कार्य पर लगातार नज़र रखने में सफल हो पा रहे हैं। उन्होने कहा कि भारतीय संसद की सक्रिय वेबसाइट हैं जिन पर विधायी कार्यवाहियों, प्रश्नों और वाद-विवाद, विधेयकों, सदस्यों, संसदीय समिति के प्रतिवेदनों आदि के बारे में व्यापक जानकारी उपलब्ध है। इसके अलावा, ई-संसद और ई-विधान के विकास से सदस्यों की कार्यकुशलता और बढ़ गई है और जन प्रतिनिधियों के रूप में उनके दायित्वों के निर्वहन का तौर-तरीका ही बदल गया है।